झमाझम बारिश हो रही थी । पूस के महीने की बारिश ठंड का कहर ढा देती है । मंजरी अकेली अपने कमरे के दरवाजे से इस नजारे को देख रही थी । बहुत देर से मन कर रहा था चाय पीने का पर अकेले चाय पीने में आनन्द भी नहीं आता ।
बीते दिनों की यादें मन को विचलित करती हैं । कालिज की पढ़ाई और अपने दोस्तों का ग्रुप । ऐसे मौसम में क्लास गोल और पूरा ग्रुप पहुँच जाता काका टी स्टाल पर । काका भी खुश होते उनको भी सबकी पसंद पता थी । इन दिनों मोहित कुछ अधिक ही मंजरी की पसंद और नापसंद का ध्यान रखने लगा था । पहले तो मंजरी ने ध्यान नहीं दिया पर धीरे धीरे उसको भी लगा कि कहीं कुछ उसके दिल में भी मोहित के लिये जगह है और वह झुकाव प्यार में परिवर्तित हो गया । ग्रुप तो अब भी चाय स्टाल पर जाता पर मंजरी और मोहित के कपों से निकलने वाला धूंआ एक दूसरे को छूता हुआ नयी ताजगी भर देता था । शिक्षा सत्र समाप्त होने पर था । सब अपने अपने भविष्य के लिये चिन्तित थे । मंजरी और मोहित ने भी बैंक की परीक्षा दी और सफल हुए हैं।
जब मंजरी ने अपने घर में मोहित के बारे में बताया तब हंगामा हो गया कि जाति अलग है । उसके साथ शादी नहीं हो सकती । मंजरी के घर वालों ने मोहित और उसके घर वालों को पुलिस से धमकवाया । वह बेचारे शहर ही छोड़ कर चले गये । मंजरी ने भी जिद पकड़ ली शादी नहीं करेगी । अब तो आधी उम्र भी निकल गयी । वह भी दूसरे शहर आगयी । मोहित का पता भी नहीं चल पाया । मां बाप भी गुजर गये । बस भाई भाभी थे एक फार्मल रिलेशन रह गया था । अचानक उसकी निगाह सामने वाले फ्लैट पर गयी । उसने अपनी मेड रोजी को बुलाया । उससे पूछने पर पता चला अभी कुछ दिन पहले एक बुजुर्ग दम्पति और उनका बेटा इस फ्लैट में आये हैं। बारिश बहुत तेज थी सामने परछाई दीख रही थी वह भी ओझल हो गयी । अचानक डोर बैल बजी । रोजी ने दरवाजा खोला सामने फ्लैट में जो सज्जन रहते थे वह खड़े थे उसने पूछा सर किससे मिलना है वह बोले क्या आपके यहाँ छाता मिलेगा हम चार दिन पहले ही शिफ्ट हुये हैं अभी सामान नहीं आ पाया मुझे बाजार तक जाना है। मंजरी को लगा यह आवाज कुछ पहचानी सी है वह उठी और जाकर देखा एक बार विश्वास ही नहीं हुआ कि मोहित है । बालों में हल्की सफेदी चेहरे पर भी उदासी मोहित बोला मंजरी तुम यहाँ । मंजरी तो बोल ही नहीं पाई मोहित फिर बोला घर पर मां पिताजी हैं बाजार से दवा लानी है बारिश बहुत तेज है। मंजरी ने दवा पूछी और घर से निकाल कर दे दी । मोहित बोला घर में और सब कहां है मंजरी बोली मै हूँ ना और कौन होगा जाओ दवा दो बारिश में इन्तजार कर रहे होगे मोहित व्यथित होकर बोला सब कौन मां पिताजी हैं बस ।
मंजरी आज भी बस मेरे मन में उस टी स्टाल की यादें हैं और कुछ नहीं मंजरी झिझकी और मुस्कुराई और बोली तब फिर दोबारा चाय के प्याले के साथ उन पलों में डूब जायें । रोजी के हाथों दवा भिजवा कर दोनों चाय के प्यालों से उठते धुंए में एक दूसरे की आंखो में डूबे हुये थे ।
डॉ० मधु आंधीवाल
अलीगढ़, उत्तर प्रदेश