1
दोस्ती का सिलसिला।
वास्तों से जा मिला।
बेवज़ह रखना पड़ा,
आपसे शिकवा -गिला ।
रास्ता ठहरा रहा ,
रुक गया जब काफ़िला ।
वो अकेला रह गया।
फूल जो छुप कर खिला।
पेड़ तो मुरझायेगा,
हो अगर जड़ से हिला।
साथ उसके सब हुए,
जो सही थी इत्तिला।
2
फूल सा हँसता रहूँगा।
बाग में खिलता रहूँगा।
तितलियों, भौरों के गाये,
गीत मैं सुनता रहूँगा।
सुन बहारों की शिकायत,
दूर सब करता रहूँगा ।
हैं सभी आँखें मुझी पर,
जानकर बचता रहूँगा ।
बन सहारा चाँद जैसा,
रात भर चलता रहूँगा ।
भाप से पानी कभी फिर,
बर्फ़ सा जमता रहूँगा।।
नवीन माथुर पंचोली
अमझेरा धार
मध्य प्रदेश