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ग़ज़लें


1
दोस्ती का सिलसिला।
वास्तों से जा मिला।

बेवज़ह रखना पड़ा,
आपसे शिकवा -गिला ।

रास्ता ठहरा रहा ,
रुक गया जब काफ़िला ।

वो अकेला रह गया।
फूल जो छुप कर खिला।

पेड़ तो मुरझायेगा,
हो अगर जड़ से हिला।

साथ उसके सब हुए,
जो सही थी इत्तिला।

2
फूल सा हँसता रहूँगा।
बाग में खिलता रहूँगा।

तितलियों, भौरों के गाये,
गीत मैं सुनता रहूँगा।

सुन बहारों की शिकायत,
दूर सब करता रहूँगा ।

हैं सभी आँखें मुझी पर,
जानकर बचता रहूँगा ।

बन सहारा चाँद जैसा,
रात भर चलता रहूँगा ।

भाप से पानी कभी फिर,
बर्फ़ सा जमता रहूँगा।।

नवीन माथुर पंचोली
अमझेरा धार
मध्य प्रदेश