सुनो! हर धड़कन मेरी तुम्हें पुकारे
हम तो हे प्रियतम ! तेरे नाम हुए।
दूर होकर तुम से जले हैं ऐसे कि!
मेरे तन -मन ,सब श्मशान हुए।।
बसकर तेरी दुनिया में यह मन
हुआ अब मीरा, सा बैराग़ी है।
खोकर तुम में, तुमसा ही होकर
हो रहा ,खुद से ही यह बाग़ी है।।
मिलन को तेरे हे प्रियतम! मेरे
ये प्राण , अब निष्प्राण हुए।
हम हर पल, राधा से रोए हैं।
तेरे विरह में , हम घनश्याम हुए।।
रहती जो हर, रचना में जीवंत
अपनी अमिट वो प्रेम कहानी है।
जिसमें राम मेरे ,सागर से बेबस ,
यह सिया दरिया ,सी दीवानी है।।
एक तुम्हें समर्पित, हे राम मेरे!
मन के सब ,निश्छल भाव हुए।
दूर हो तुम से जले हैं ऐसे कि!
मेरे तन -मन सब श्मशान हुए।।
सीमा शर्मा 'तमन्ना’
नोएडा उत्तर प्रदेश