चैतन्य का तिलक लगाऊँ
ज्ञान का जनेऊ धर
प्रभु तुझमें खो जाऊँ।।1।।
प्रेम का यज्ञ करूँ
अहं की समिधा जलाऊँ
मिटने का संकल्प कर
प्रभु तुझमें खो जाऊँ।।2।।
मुक्ति का मंत्र पढ़ूँ
भक्ति का फल चढ़ाऊँ
तेरी शरण में मर
प्रभु तुझमें खो जाऊँ।।3।।
हिंसा की बलि करूँ
अहिंसा का अमृत चढ़ाऊँ
भवसागर को तर
प्रभु तुझमें खो जाऊँ।।4।।
सत्य का मुकुट चढ़ा
सुरती की ज्योति जलाऊँ
तेरी कृपा का बखान कर
प्रभु तुझमें खो जाऊँ।।5।।
राम राम दिन रात रटूं
ध्यान की धूप जलाऊँ
शुद्धि का हार चढ़ा कर
प्रभु तुझमें खो जाऊँ।।6।।
निज गले बांध कर जेवड़ी
मैं तेरा श्वान बन जाऊँ
तेरे आगे पीछे चल कर
प्रभु तुझमें खो जाऊँ।।7।।
श्वास की माला जपूँ
चैतन्य का तिलक लगाऊँ
ज्ञान का जनेऊ धर
प्रभु तुझमें खो जाऊँ।।8।।
अंशुल सिंह राणा
ग्राम- पिल्लू भैर गांव
अगस्त्यमुनि, रुद्रप्रयाग(उत्तराखंड)