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आज की स्त्री


वो आज की स्त्री है

विरोध करती है

तुम्हारी बातों का,

क्यू कि बस हां में हां

करना नहीं सीखा उसने

ठीक है तुम उसके अपने हो

पर उसका अपना वजूद भी

है उसके साथ,

नहीं मरने दे सकती उसे



गलत को गलत ही कहेगी

यही सीखा है उसने

हां में हां, जी हजूरी, हर हाल में

तुम ही सही, नहीं स्वीकार उसे

उसके अपने विचार है

उसकी अपनी सोच है

नहीं स्वीकार कर सकती

आंख बंद कर

हर बात को,हर काम को



बड़े बुजुर्ग हैं तो क्या हुआ

संस्कार में रह कर अपनी

बात कहना सीखा है

अपनी बात कहना

चरित्रहीनता या उद्दंडता कैसे

रीति रिवाज तभी तक स्वीकार

जब तक उसके भी

मान सम्मान का ख्याल रखा जाए



वो आज की स्त्री है

आत्मसम्मान, स्वयं का

वजूद बचाना जानती है

अपना स्थान बनाना जानती है

नहीं स्वीकार उसे गाली खा

56 भोग खाना

उसके वस्त्र आभूषण

उसका आत्मसम्मान

उसका स्थान है



ये तुम्हे जानना होगा

स्वीकारना होगा

वो संपति नहीं साथी है

साथ साथ चलने की

अभिलाषी है


मोनिका राय

लखनऊ, उत्तर प्रदेश