आधुनिक युग क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं।इन परिवर्तनों ने वैश्विक स्तर पर मानव जीवन शैली में आमूलचूल परिवर्तन कर दिए हैं। लगभग पच्चीस वर्ष प्राचीन जीवन आधुनिक युग से कितना अलग था। वैज्ञानिक आविष्कारों की पूरी फेहरिस्त है। सबसे बड़ा परिवर्तन संचार प्रौद्योगिकी में हुआ है जिसने एक ओर तो जीवन को सुलभता प्रदान की है तो वहीं दूसरी ओर नैतिक मूल्यों का निरंतर अवमूल्यन भारतीय संस्कृति के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। इंटरनेट के बढ़ते प्रचलन के साथ इंसान अपना अधिकांश समय वर्र्चुअल दुनिया में गुजार रहा है।सोशल मीडिया के बढ़ते चलन ने युवा पीढ़ी को अपनी चपेट में बुरी तरह से जकड़ लिया है। अश्लीलता का नग्न दृश्य हमारी गरिमामय संस्कृति को तिरोहित करने पर तुला हुआ है। इससे भी दो कदम आगे अब साइबर अपराध की सेंध सीधे सूचना प्रौद्योगिकी में लग चुकी है।
वर्तमान समय में इंटरनेट कई प्रकार के वित्तीय अपराधों एवं व्यक्तिगत हमलों का माध्यम बन चुका है। इंटरनेट का प्रयोग अनैतिक प्रवृत्ति के कार्यों विद्वेषपूर्ण उद्देश्यों में ज्यादा किया जाने लगा है। अश्लील सामग्री का प्रसारण, ऑनलाइन बैंकिंग प्रणाली से छेड़छाड़ करके किसी का धन निकाल लेना, अराजक एवं आतंकवादी गतिविधियों का संचालन,समाज में अराजकता का प्रसार इत्यादि कार्य किए जा रहे हैं। इन्हें संयुक्त रूप से साइबर अपराध का नाम दिया गया है।जो समाज के लिए एक जटिल समस्या बनकर सामने आया है क्योंकि आज साइबर स्पेस से जुड़े हमलों और खतरों का जोखिम ज्यादा है। किसी शायर की ये पंक्तियां इन खतरों को बखूबी बयां करती है –
“ घिरा हुआ हूं मैं हर तरफ से,
हैं आईने में हवा की दहशत।”
वस्तुत: साइबर अपराध एक व्यापक शब्द है साइबर हमलें, साइबर आतंकवाद, साइबर वॉरफेयर जैसी गतिविधियां शामिल हैं।इसका विस्तृत क्षेत्र होने के कारण समस्या अत्यधिक जटिल हो जाती है। इसके अन्तर्गत हैकिंग,स्पैमिंग, फिशिंग, वायरस हमलें, साइबर स्टाकिंग, स्पाइवेयर, मालवेयर इत्यादि आते हैं। सोशल नेटवर्किंग के माध्यम से किसी की निजता में अनधिकार प्रवेश के अतिरिक्त उसकी गोपनीय सूचनाओं की जानकारी साझा कर ब्लैकमेलिंग, सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल कर दूसरे राष्ट्र की संप्रभुता को चुनौती देता है।हैकिंग की खबरें गाहे-बगाहे मिलती ही रहती है।
भारत में धार्मिक और भाषाई विविधता के कारण इस प्रकार के हमलों के लिए एक मुफीद जगह बनकर उभरा है। भारत में साइबर सुरक्षा तंत्र का विकास अभी अच्छी तरह से नहीं हो पाया है। ऐसे समय में जहां हमारा देश डिजीटलीकरण की ओर तेजी से बढ़ रहा है वहीं दूसरी ओर साइबर सुरक्षा का खतरा भी दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। भारत में निजता हनन की समस्या भी गंभीर होती जा रही है। इंटरनेट के माध्यम से सूचनाओं का भ्रमजाल फैलाया जा रहा है।की देशों में रैनसमवेयर कंप्यूटर वायरस से हमला हुआ। यह वायरस कंप्यूटर प्रोग्राम और फाइलों को नष्ट करने की धमकी देता है। जिन्हें बचाने के लिए निर्धारित फीस चुकाने की बात की जाती है।इन परिस्थितियों से निपटने के लिए बेहतर साइबर सुरक्षा की आवश्यकता है। हैकरों द्वारा प्रायः उन्हीं कंप्यूटर नेटवर्क में सेंध लगाई जाती है जिनका सुरक्षा नेटवर्क कमजोर होता है।
अतः तकनीकी रूप से सुदृढ़ नेटवर्क का निर्माण करना ही सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। इसके लिए आईटी तकनीकों, बायोमेट्रिक तकनीक का प्रयोग कर इन अपराधों को रोकना चाहिए। लेकिन उन्नत होती तकनीक से हैकर्स भी स्वयं उन्नत होते जाते हैं। इसके लिए कुछ साइट्स पर रोक तो लगनी ही चाहिए साथ ही सरकार को ऐसी सुरक्षा नेटवर्क विकसित करना चाहिए कि हैकर्स को आसानी से पकड़ा जा सके। अभिव्यक्ति के अधिकार पर भी पुनः समीक्षा की आवश्यकता है। जनमानस को भी प्रसिद्धि प्राप्त करने के लिए घटिया तरीकों को प्रयोग करने के भ्रमजाल से बाहर निकलना होगा जिससे कि निजता में कोई भी अनधिकार प्रवेश न कर सके। अपने पासवर्ड, ओटीपी इत्यादि किसी के साथ भी शेयर न करें। विदेशी अज्ञात फ़ोन कॉल्स को रिसीव न करें। अगर किसी भी प्रकार के स्कैम में किसी इंटरनेट के माध्यम से फंसाने का प्रयास किया जाता है तो तुरंत पुलिस को सूचित करें। सतर्कता के साथ इंटरनेट का प्रयोग करें।
अलका शर्मा
शामली, उत्तर प्रदेश