दिल में है जिंदा, उम्मीद की कहानी अभी।
थक गया हूं बेशक, पर हार न मानी अभी।।
काटों भरी राह में, ज़ख्म मिल चुके हैं कई।
रुकने का इरादा नहीं, चल रही रवानी अभी।।
आंधियों ने कोशिश की, बुझाने की बार-बार।
जल रहा है सीने में, दिया एक रूहानी अभी।।
थकान है बदन में, और मेरी आंखों में नींद है।
सुलग रही है दिल में, चिंगारी इक पुरानी अभी।।
हार अपनी मानूं मैं कैसे, ये जंग मेरी खुद से है।
जीतने की कसमें हैं, मंजिल भी है पानी अभी।।
जारी रहेगा सिलसिला, वक़्त से छिड़ी जंग का।
ख्वाबों के उफान में है, डूबी मेरी कहानी अभी।।
दिल में है जिंदा, उम्मीद की कहानी अभी।
थक गया हूं बेशक, पर हार न मानी अभी।।
नितिन तिवारी
इंदौर मध्य प्रदेश