नववर्ष करे यह ख्वाब पूरा

अरुणिता
द्वारा -
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नववर्ष पर मेरी है,

सबके लिए मंगल कामना।

न रहे कोई दीन-दुखी,

है यही सबके प्रति शुभकामना।


ढोल, नगाड़े, मृदंग बाजे,

मेरी यही है चाहना।

सबकोई खुशी में झूमे,

हर भेद मिटे है कामना।


चार दिन की है जिन्दगी,

हमें है मस्ती में नाचना।

क्यों करें हम मुख जहर सा,

है चाहत हँसकर वक्त गुजारना।


क्या गोरा, क्या काला,

न रहे ऊँच-नीच की भावना।

सबका जीवन हो बसन्ती,

है यही मेरी शुभकामना।


जरे हुए कल की छोड़ो,

हमें आज को है सँवारना।

आ गले मिल जायें हमसभी,

नववर्ष पर मेरी यही है चाहना।


न रहे कोई अकिंचन,

इतनी ही है मेरी मनोकामना।

नववर्ष करे यह ख्वाब पूरा,

है मेरी यही चाहना।




अमरेन्द्र

पटना,बिहार


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