एहसास की डोर बँधा प्रियतम,
जिस पर तन-मन वारा है,
सच्चा और पावन पुनीत सा,
बंधन यह मेरा तुम्हारा है।
स्नेह श्रृद्धा ,आस्था की भीनी,
खुशबू सा सबसे न्यारा है,
दे शीतलता महके चन्दन सा
यह जीवन मेरा तुम्हारा है।।
साये सा संग संग रहता है
ये चाहे रहें दूर या पास रहें ,
संयम समर्पण भाव से
इसको हमने और निखारा है।
पावन अग्नि की तपिश से
इसका जीवन हर पल दहके,
नव उर्जा संचारित करता
साथ यह मेरा और तुम्हारा है।।
भावों की माला नित जपती,
जो वह एक नाम तुम्हारा है
हृदय धाम मेरा अयोध्या-काशी
जिसमें वास तुम्हारा है।
प्रेम प्रीत की रीत न जानूं,
हार है क्या?क्या जीत न जानूं!
जुड़कर तुम संग मैं कहां अब
तुम मैं विलय जीवन सारा है।।
मेरा तेरा बंधन ऐसा प्रियतम
संसार में सबसे निराला है
बंधन नहीं मात्र बंधन कहने को,
इसे अंतर तक उतारा है।
एक जन्म का नहीं इसमें
जन्मों का यह साथ हमारा है
धन्य सिया हुई मेरे राम जी
तुमसे ही अब संसार हमारा है।।
सीमा शर्मा ‘तमन्ना’
नोएडा (उत्तर प्रदेश)