मैं कवि हूँ

अरुणिता
द्वारा -
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मैं कवि हूँ ,

मैं कविता लिख रहा हूँ ।

मैं जो देख रहा हूँ ,

बस वही रच रहा हूँ ।


दिल पे हाथ रखकर,

मैं सच लिख रहा हूँ ।

मैं बेरोजगारी, भुखमरी

और शोषण पर किताब लिख रहा हूँ ।


तू जुल्म कर रहा है,

मैं तेरी कहानी लिख रहा हूँ ।

तेरे जुल्म की लंका जलाने की,

मैं उपाय रच रहा हूँ ।


सब चुप हैं तो न सोच,

मैं भी चुप बैठा हूँ ।

तेरे हर जुल्म का मैं पूरा,

हिसाब लिख रहा हूँ ।


इन्सानियत के वास्ते,

मैं कलम चला रहा हूँ ।

मैं कवि हूँ ,

मैं कविता लिख रहा हूँ ।


अमरेन्द्र

पटना, बिहार

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