कल की चिंता छोड़

अरुणिता
द्वारा -
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मत भ्रम पाल रे साथी,

कल की चिंता छोड़ रे साथी ।


मोह- माया का जाल बुरा,

मत लालच पाल रे साथी ।


होड़ किसी की क्या करनी ?

कुछ भी साथ न जाये रे साथी ।


प्रेम- सत्य की राह सुहानी,

एक बार तो चलके देख रे साथी ।


बुरे काम का बुरा नतीजा,

आज नहीं तो कल मिले रे साथी ।


किस्मत का रोना मत रो रे साथी,

कल की चिंता छोड़ रे साथी ।


मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

ग्राम रिहावली, डाक तारौली गूजर, 

फतेहाबाद, आगरा, उत्तर प्रदेश 283111



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