मनोहर भाई! तीन लड़के हैं मेरे, इनमें से एक को कृषि कार्य, एक को उच्च शिक्षित कर सेना में, और एक को राजनीति में भेजने की सोच रहे हैं। बताओ मेरा विचार कैसा है?"मुरारी ने कहा।
" विचार अच्छा है, लेकिन तीनों को उच्च शिक्षित करने की क्यों नहीं सोचते , मुरारी!,।"मनोहर मुरारी से कहा।
"शिक्षित तो तीनों को करेंगे, लेकिन जरूरत के हिसाब से मनोहर भाई!"
"मतलब"मनोहर ने जोर देकर कहा।
"यार मनोहर!, तुम इस मतलब के पीछे बहुत पड़े रहते हो। कोई बात कहो तो तुम्हारा एक ही तकिया कलाम, मतलब,, इसमें वे मतलब वाली कौन सी बात?"मुरारी ने खीजते हुए कहा।
"मतलब की बात इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि किसी को खूब पढ़ाओ किसी को कम पढ़ाई कराओ तो बाप द्वारा अपने ही बच्चों से सौतेला व्यवहार हुआ या नहीं "। मनोहर मुरारी के अंदाज़ में ही कहा।
"तो ये बात है मनोहर!,,, हूं,,। देखो जो कृषि कार्य करेगा उसे उतनी शिक्षा दिलाएंगे, जिससे वह कृषि से संबंधित सारे जोड़ घटाने को समझ सके और खेती अच्छे से कर सके। फ़ौज में जिसे भेजेंगे उसे उसके अनुरूप शिक्षा दिलाएंगे। जिसको राजनीति में घुसपैठ कराएंगे उसे शिक्षा सिर्फ मतलब भर के लिए ,क्योंकि इस क्षेत्र में उच्च शिक्षित हो या काम चलाऊ शिक्षित सब चलता है। राजनीत में दिल की नहीं दिमाग की जरूरत होती है,भाई मनोहर!"समझ गए या अभी तुम्हारा मतलब फिर जोर मारेगा " । मुरारी ने ठहाका लगाते हुए कहा।
"जब बिना मतलब की बात करोगे तो, मतलब क्या है इसका, पूछना पड़ेगा ही। अब देखो, एक को राजनीति में घुसपैठ कराने की बात कर रहे हो। इसका क्या मतलब? बताओ मुरारी "।
मनोहर व्यंग्य पूर्ण शब्दों में कहा।
"तुम में हम में यही तो अंतर है मनोहर। तुम समय काल के अनुरूप नहीं चलते, और हम समय की हवा के साथ चलने वाले ठहरे मनोहर भाई," मुरारी ने मुस्कराते हुए कहा।
कैसे?? मनोहर सिर हिलाकर कहा।
"देखो मनोहर! मेरे मन फ़ौज में जाने का सपना था,कुछ स्थितियों के चलते मेरा सपना पूरा नहीं हो सका। इसलिए मेरा सपना एक लड़के को फौजी बनाना है तो बस बनाना है। दूसरी बात ईश्वर की इच्छा से तुम्हारी तरह हमारे पास भी खेत पात ठीक ठाक है , खेती को आधुनिक रंग में रंगना चाहता हूं,। इसलिए एक लड़के को खेती बाड़ी में लगाना है। रही एक को राजनीति में घुसपैठ कराने की, वह भी आज के दौर में बहुत जरूरी। आज के समय में राजनीति से जुड़ना इसलिए ज़रूरी है,क्योंकि हर गांव, शहर के हर घर घर में नेतागीरी की पौध फल फूल रही है। जरा सी कोई बात हो जाए किसी से, उस घर से नेता टाइप आदमी निकल आता है, और आंखे तरेर कर बोलता है, मुझे जानते तो ही,, हम से पंगा लोगे तो सीधे चार करोड़ के सरकारी घर में थाली बजाते नज़र आओगे, इसलिए एक नेतागीरी से जोड़ना बहुत जरूरी है।"मुरारी ने मनोहर से कहा," मनोहर समझ गए मतलब या और महीन करके समझाएं।"
" यार मुरारी ! तुम्हारी सोच ठीक है भाई!, लेकिन हमारे लौंडे दोनों ही वकालत पढ़ने की बात कर रहे हैं। अब बताओ उनको वकालत पढाएं आगे चलकर, या दोनों के दोनों को ही नेतागीरी में ही घुसपैठ कराएं। तुम तो जानते हो, मुझे किसी की गलत बात बर्दाश्त नहीं होती है, और आए दिन लोगों से नोक झोंक हो जाती है। अब तुम बताओ मुरारी लड़कों को किस क्षेत्र में जाने के लिए प्रेरित किया जाए।" मनोहर ने गम्भीर होकर कहा।
"अरे मनोहर! नहीं, नहीं,,, बहुत सही सोच रहे हैं तुम्हारे लड़के यार,दोनों को वकील बनाओ। रही नेतागीरी की बात तो मेरा एक लौंडा तो राजनीति में अपनी धाक जमाएगा ही। वह अड़े गड़े हम दोनों के काम आएगा ही। आपके लड़के वकील होंगे तो ये मेरे लड़के के लिए बड़े काम की चीज़ सिद्ध होंगे यार!,क्योंकि जब कभी सत्ता परिवर्तन होगा, यानी जिस दल से वो जुड़ेगा वह दल जब सत्ता में नहीं रहेगा ,तो ऐसे में विरोधी कुचक्र गढ़ेंगे, और ऐसे में मेरा लौंडा झूठे सांचे मामलों फंसाया जाएगा, उलझाया जाएगा। कभी कभी मामला थाना पुलिस और कोर्ट कचहरी तक भी पहुंच जाएगा, तब तुम्हारे वकील लौंडे हमारे नेता लौंडे के बड़े काम आएंगे।"मुरारी ने ताली चटकाते हुए कहा।
मुरारी और मनोहर ने एक दूसरे से हाथ मिलाकर कहा"यानी हम लोग सही सोच लेकर आगे बढ़ रहे हैं भाई।, मुरारी ने फुदकते हुए कहा ,"मनोहर चलो घर न चलकर, पहले मझिले के कोल्हू पर चलते हैं। गन्ने का ठंडा ठंडा ताजा गन्ने का रस पीते हैं। गन्ने का रस पीकर ,इसी बहाने इस खुशी में हम दोनों का मुंह भी मीठा ही जाएगा। मझिले कई बार गन्ने का रस पीने का निमंत्रण दे चुका है।"
रामबाबू शुक्ला
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
अखिल भारतीय साहित्यकार संघ (भारत)