आज को हम क्यों कल पर छोड़े

अरुणिता
द्वारा -
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जीवन का हर पल अमूल्य है ।

जीवन रस अमृत तुल्य है ।।

बहुत देर तक तुम मत सोना ।

जीवन मूल्य कभी न खोना ।।

आलस्य की कारा अब तोड़े ।

आज को हम क्यों कल पर छोड़े ।।


संघर्षों के दौर विकट हो ।

चाहे जितने भी संकट हो ।।

हर समस्या का ही हल है ।

सच्चा साथी आत्मबल है ।।

बहती हवा का रुख हम मोड़े ।

आज को हम क्यों कल पर छोड़े ।।



जीवन में जाग्रति लाओगे ।

जो चाहोगे बन जाओगे ।।

समय को सम्मान देना ।

हर पल पर अब ध्यान देना ।।

सद्कर्मों को रोज ही जोड़े ।

आज को हम क्यों कल पर छोड़े ।।



अब भी जागो देर नहीं है ।

बढ़ो कर्मपथ वक्त यही है ।।

ग़म न पालो जो बीता है ।

प्रयास करो अब जो रीता है ।।

दौड़ाए प्रगति के घोड़े ।

आज को हम क्यों कल पर छोड़े ।।


यशवंत चौहान

मध्यप्रदेश

साहित्य अकादमी अलंकरण प्राप्त साहित्यकार

5/242, राजेन्द्र कॉलोनी, राजगढ़-धार

इंदौर, मध्यप्रदेश

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