ग़ज़ल

अरुणिता
द्वारा -
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धूप को फूल खल रहे होंगे,

खेत के पाँव जल रहे होंगे |


जाति औ फ़िरके वाले सांचे में,

आज बच्चे भी ढल रहे होंगे |


हो रही कोठियाँ खड़ी लेकिन,

हाड़ लेबर के गल रहे होंगे |


आज मिलते नहीं भरत लक्ष्मण,

ऐसे भाई तो कल रहे होंगे |


आपने मुड़ के ही नहीं देखा,

काफिले साथ चल रहे होंगे |


"ग़ैर "जो वक़्त को न पहचाने,

लोग वे हाथ मल रहे होंगे |



अनुराग मिश्र ग़ैर

सहायक आबकारी आयुक्त

बजाज हिंदुस्तान शुगर लिमिटेड

गांगनौली, सहारनपुर

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