१
चुरा ले गइल
धान, पान, मुस्कान
सून कइलस
गाँव घर जवार
कर देलस
तार - तार रिसतन के
हँ! बाजार।
२
अभाव
हमरा खातिर माने
ना रखे
किसान पूत हईं
हमहूं किसान,
अभाव त हमार जिनिगी के
दूसर नाम ह
अभाव ना मार सकी हमरा के
बाकिर डर
जे घर बनावत जा रहल बा
मन में
ओकरा से बड़ी डर लागेला।
३
हमरा नइखे मालूम
काहे?
बाकिर असीम सुख दे जाला
मन के
केहू गाँव, घर, टोला के
अनायासो घरे आ जाला
आवे वाला अतिथि में
खाली एगो मनई ना
गाँव जवार
स्थानीय बाजार
खेत बधार
चइता आ फाग के राग
काकी भउजी के अनुराग
लउकेला
बुझाला इलाका के मनई ना
गंउवे उठ के आ गइल बा
शहरिया में हमरा घरे,
अतिथि चलियो गइला के बाद
छोड़ जाला
बसमतिया चाउर के सुगंध जस
गाँव के माटी से उठत
सुवास।
४
मनई
खोज रहल बा
मनई के
कहाँ भेंटाता?
एगो मुक्कमल के कहो
अधूरो आदमी
सभे त पहिर लेले बा
नकाब
आ उहो बदल लेता
हर चउराहा पर।
कनक किशोर
राँची, झारखंड