भारत में इंजीनियरिंग शिक्षा का इतिहास गौरवशाली रहा है। आजादी के बाद से ही देश ने आईआईटी, एनआईटी और अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों के माध्यम से विश्वस्तरीय इंजीनियर तैयार किए हैं। लेकिन पिछले कुछ दशकों में इंजीनियरिंग शिक्षा के विस्तार के साथ-साथ कई चुनौतियाँ भी सामने आई हैं। भारत में हजारों इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, लेकिन अधिकांश में बुनियादी सुविधाओं, योग्य शिक्षकों और उद्योग-संबंधित प्रशिक्षण की कमी है। AICTE के अनुसार, कई कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले छात्रों का बड़ा हिस्सा प्लेसमेंट या उच्च शिक्षा में सफल नहीं हो पाता। इसका मुख्य कारण है कि अधिकांश इंजीनियरिंग संस्थानों में पाठ्यक्रम पुराना है और उद्योग की मांग के अनुरूप नहीं है। छात्रों को सैद्धान्तिक पढ़ाई तो करायी जाती है, लेकिन व्यावहारिक कौशल, प्रोजेक्ट वर्क और इंटर्नशिप पर ध्यान कम दिया जाता है।
नैसकॉम के अनुसार, केवल पन्द्रह से बीस प्रतिशत इंजीनियरिंग स्नातक ही सूचना प्रोद्यौगिकी या कोर इंडस्ट्री में नौकरी पाते हैं। बाकी या तो अन्य क्षेत्रों में चले जाते हैं या बेरोजगार रह जाते हैं।
इंजीनियरिंग शिक्षा को AI, मशीन लर्निंग, IoT, रोबोटिक्स और सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी जैसे नए क्षेत्रों के साथ अपडेट किया जाना चाहिए। उद्योग विशेषज्ञों को पाठ्यक्रम डिजाइन में शामिल करना चाहिए।
छात्रों को लैब एक्सपेरिमेंट्स, लाइव प्रोजेक्ट्स और इंटर्नशिप के जरिए वास्तविक दुनिया की समस्याओं का समाधान करना सिखाया जाना चाहिए। कंपनियों के साथ सहयोग बढ़ाकर कैंपस प्लेसमेंट को बेहतर बनाया जा सकता है।
इंजीनियरिंग कॉलेजों में योग्य फैकल्टी की कमी को दूर करने के लिए शिक्षकों को नवीनतम ट्रेंड्स का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। साथ ही, लैब और लाइब्रेरी को अपग्रेड करना आवश्यक है।
भारत में इंजीनियरिंग शिक्षा की स्थिति चुनौतिपूर्ण है, लेकिन संभावनाएं भी अपार हैं। अगर पाठ्यक्रम, प्रैक्टिकल ट्रेनिंग, रिसर्च और उद्योग-शिक्षा सहयोग पर ध्यान दिया जाए, तो भारत एक बार फिर दुनिया का इंजीनियरिंग हब बन सकता है। नई शिक्षा नीति (NEP 2020) में कुछ सुधार प्रस्तावित हैं, लेकिन इन्हें जमीन पर उतारने के लिए सभी हितधारकों को मिलकर काम करना होगा।
इंजीनियरिंग शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्री देना नहीं, बल्कि समस्याओं का समाधान करने वाले योग्य पेशेवर तैयार करना होना चाहिए। तभी भारत 'मेक इन इंडिया' और 'डिजिटल इंडिया' के सपने को साकार कर पाएगा।
जय कुमार
प्रधान सम्पादक
त्रयोदशी, शुक्लपक्ष, चैत्र विक्रम सम्वत 2082