कविता

अरुणिता
द्वारा -
0

कागज की जमीन में

कलम के हल से

बोया करता कवि 

किसान बनकर

शब्दों के बीज

भावों से सिंचित

प्रस्फुटित होते अंकुर

समय पाकर

फिर आकार लेती

परिश्रमजनित

कविता

फसल रूप में


व्यग्र पाण्डेय 

 कर्मचारी कालोनी, 

गंगापुर सिटी, राजस्थान- 322201



एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn more
Ok, Go it!