माँ का प्रतिरूप

अरुणिता
द्वारा -
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मीरा एकटक ठुमक ठुमक चलती नन्दिनी को निहार रही थी । उसे देखते देखते नन्दिनी की जगह रुचिका दिखाई देने लगी । उसकी प्राण से प्यारी बेटी । मां पापा दोनों के जीने का सहारा । मीरा और श्याम दोनों की शादी को 13 साल बीत गये थे पर नन्हीं किलकारी आंगन में नहीं गूंजी थी । बहुत मन्नत मांगी जिसने जितने उपाय इलाज बताये सब श्याम और मीरा ने 

करे । परिवार वाले तो यहाँ तक दबाव बनाने लगे कि श्याम की दूसरी शादी कर दें पर श्याम ने इसका डट कर विरोध किया । एक दिन अचानक मीरा को चक्कर आने लगे और वह बेहोश होगयी । जब डाक्टर को दिखाया गया तब उसने सबसे कहा अब आप लोग  मिठाई खिलाने की तैयारी करें । मीरा और श्याम की खुशी का तो ठिकाना ही नहीं था । दोनों एक एक दिन गिनने लगे । 9 महीने बाद एक सुन्दर सी परी मीरा की गोद में आगयी । उसका नाम रुचिका रखा । रुचिका थी भी बहुत प्यारी सी । धीरे धीरे रुचिका बड़ी होने लगी । कहते हैं लड़कियां तेजी से बेल की तरह बढ़ती हैं। 

       मीरा और श्याम को उसकी शादी की चिन्ता होने लगी । श्याम के दोस्त ने प्रतुल का सम्बन्ध रुचिका के लिये बताया । श्याम को वह सम्बन्ध पसन्द आया और जल्दी ही प्रतुल

के मां पापा के पास जाकर सम्बन्ध तय कर दिया । रुचिका दुल्हन बन कर चली गयी अपने पिया के घर । कुछ दिन सब सही चला उसके बाद जैसे जैसे समय बढ़ता गया सबका व्यवहार भी बदलने लगा । रुचिका के 6 महीने का गर्भ था । रुचिका को दहेज के लिये हर समय सास ,ननद की कटु बातें सुननी पड़ती थी । प्रतुल भी उसे मारता था पर वह अपने पापा और मां को बताना नहीं चाहती थी । रुचिका सब बातें  झेल रही थी । समय नजदीक आ रहा था । अब तो प्रतुल और मां बहनों द्वारा मानसिक यातना बढ़ती जरही थी । रुचिका की सास कहती यदि बेटी हुई तो उसको और इसके बेटी को मायेके भिजवा दूंगी । प्रसव पीड़ा शुरू होगयी प्रतुल उसे लेकर अस्पताल गया  । मीरा और श्याम भी आगये थे । अचानक रुचिका को तेज दर्द उठा और एक नन्ही परी का आगमन होगया । बेटी की सुनकर रूचिका की सास प्रतुल को लेकर घर आगयी । रुचिका को बहुत धक्का लगा क्योंकि पत्नी को इस समय पति का संग चाहिये । वह अचानक मीरा से बोली मां तुम तो अब बड़ी मां बन गयी चलो अब मै सुकून  से सो सकती हूँ । मीरा बोली बेटा तुमको नहीं जाने दूंगी तुम तो हमारी जान हो । रुचिका का हाथ मां के हाथ में था उसने अपनी परी को मां  के हाथों में सौंप दिया और बस एक लम्बी सांस लेकर दुनिया को अल विदा कर दिया ।

     आज रुचिका को गये 8 महीने हो गये नन्दिनी ठुमक ठुमक नानी के आंगन में चलने लगी है। मीरा की जान नन्दिनी आज फ्राक और हैट में बिलकुल बार्बी डाल लग रही है। बिलकुल अपनी मां रुचिका का प्रतिरुप ।


डॉ० मधु आंधीवाल

अलीगढ़, उत्तर प्रदेश 



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