मुझे शिकायत उन लोगों से,
जो सुख में भी दुखी रहते हैं,
आधा भरा गिलास यदि हो,
आधा ख़ाली ही कहते हैं।
ढंग सोचने का है उल्टा,
स्वार्थ में हैं लिप्त वे इतने।
धनी लोग भी लोभी बनकर,
और और की चाह करते हैं।
ऐसे व्यक्ति का लाभ ही क्या,
इस धरती पर आने का।
स्वयं तो पीड़ित रहते ही हैं,
दूसरों को पीड़ित करते हैं।
ड0 केवलकृष्ण पाठक जींद
सम्पादक “रवीन्द्र ज्योति” मासिक पत्रिका,
आनन्द निवास, गीता कालोनी,
जींद-१२६१०२,हरियाणा