शिक्षक

अरुणिता
द्वारा -
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अंधकार में दीप समान

जो आते राह दिखाने

भाग्यवान हैं वह प्राणी

जिनको शिक्षक मिल पाते ॥


मन को अपने मथ - मथ कर

नवनीत प्रकट कर जाते

ज्ञान अग्नि में आहुति देकर

वे दीपशिखा बन जाते ॥


कभी पिता कभी मात

हमारे कभी सखा बन जाते

भटक राह से जायें कभी

तो सच्ची राह दिखाते ॥


कभी धमकी और कभी रुसआई

कभी उपनाम धराते

कुछ अच्छा करने की जिद में

गाली भी सह जाते ॥


ना खुलकर हँस बोल सकें

ना पहन सकें मन माफिक

उत्सव मेलों में नाच ना सकें

बन्धन में बँध जाते ॥

                    

 देवेन्द्र पाल सिह बर्गली

                       नैनीताल उत्तराखण्ड

                    


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