तीसरा विश्व युद्ध

अरुणिता
द्वारा -
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तुम आज भी लड़ रहे हो 

औरंगजेब के इतिहास पर 

तुम आज भी लड़ रहे हो 

जात पांत के भेदभाव पर 


कहाँ खोये हो तुम आज भी 

क्यों अनजान हो उन्माद पर 

क्यों चुप हो तुम आज भी 

पारिवारिक घरेलू विवाद पर 


कहीं दहेज हावी है रिश्तों पर 

तो कहीं पत्नी चालबाज है 

कहीं हो रहा कत्ल पति का 

कहीं बलात्कार है बार -बार 


फोन देखो या पढ़ो अखबार 

मारकाट छलावा अत्याचार 

मन विक्षुब्ध हुआ जार जार 

दुनिया के पढ़कर समाचार 


रोक सको तो रोक लो तुम 

आज ये सारे अनिष्ट अनाचार 

क्या करोगे तुम उस दुनिया का 

जहाँ न होगा प्यार और व्यवहार 


देखकर तीसरे युद्ध की विभीषिका

मन मयूर हुआ है बहुत ही परेशान

रूह काँप रही रो रहा है दिल मेरा

पढ़ सुनकर दुनिया के व्याभिचार


न रहा प्रेम न बच पायेगा अभिमान

कैसे कह पाओगे गर्व से तुम अब

मेरा भारत मेरा देश मेरी इज्जत 

मेरा प्यार मेरी संस्कृति मेरा सम्मान 


वर्षा वार्ष्णेय 

अलीगढ़, उत्तर प्रदेश 



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