
ग़ज़लनामा
ग़ज़ल
धूप को फूल खल रहे होंगे, खेत के पाँव जल रहे होंगे | जाति औ फ़िरके वाले सांचे में, आज बच्चे भी ढल रहे होंगे | हो रही कोठ…
धूप को फूल खल रहे होंगे, खेत के पाँव जल रहे होंगे | जाति औ फ़िरके वाले सांचे में, आज बच्चे भी ढल रहे होंगे | हो रही कोठ…