धूप को फूल खल रहे होंगे, खेत के पाँव जल रहे होंगे | जाति औ फ़िरके वाले सांचे में, आज बच्चे भी ढल रहे होंगे | हो रही कोठियाँ खड़ी लेकिन, हाड़ लेबर के गल…
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