आदर्शों की ऊँचाई हैं मेरे पिता, नैतिकता की परछाईं हैं मेरे पिता, अनगिनत दुख-शोक-व्याधि झेलकर बने नीलकण्ठ विषपायी हैं मेरे पिता। पितृहीन होकर कि…
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