तेरे हिस्से की चाँदनी, गर होती मैं इक बार। नील गगन ले जाती तुझको, अपने पंख पसार। या कहीं पर बैठ किनारे, श्वेत छीर सागर के तट। चाँदनी भर लेती मु…
Read more »लिखना चाहूँ गीत प्रेम का , पर फिर भी लिख ना पाऊँ मैं। कैसे लिख दूँ शब्दों में कि , कितना तुझको चाहूँ मैं। वर्ण-शब्द गागरिया ढूँढी…
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