
काव्य-सरिता
आज़ाद परिन्दा
ज़ाद परिन्दा हूँ मैं,मुझे तो आसमान तक जाना है, ना रखो चारदीवारी में मुझे कैद,मुझे तो उड़ जाना है.. समाज को कोई हक नह…
ज़ाद परिन्दा हूँ मैं,मुझे तो आसमान तक जाना है, ना रखो चारदीवारी में मुझे कैद,मुझे तो उड़ जाना है.. समाज को कोई हक नह…
पलक शर्मा जी की बड़ी बेटी थी।पलक की छोटी बहन सुमन थी और छोटा भाई आकाश था।घर की पूरी जिम्मेदारी पलक के कन्धो…