चराग़ जिसने जलाया उसे तलाश करो अंधेरा किसने मिटाया उसे तलाश करो बहुत उदास है बस्ती का हर तरफ मंजर धुवां ये किसने उठाया उसे तलाश करो जो अपने आप को…
Read more »भागादौड़ी बहुत सह लिया किस उलझन में पलते हैं मेरे प्यारे मन चल अब तो फिर बचपन में चलते हैं मेरे प्यारे,,,, पलने में झूलें…
Read more »सब्र का बांध तोड़ते क्यूँ हो अपना ही राज खोलते क्यूँ हो इस सियासत का भरोसा क्या है हर सुबह कड़वा बोलते क्यूँ हो कद्र करना भी स…
Read more »आदमी को आदमी समझा करो नफरतों से खेल मत गंदा करो जिंदगी के रूप हैं कितने नये तुम किसी भी रूप में महका करो दर्द कोई भी छुपा कर मत रखो…
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