कुछ दिन पहले मैं टैक्सी के द्वारा दिल्ली से बाहर जा रही थी। मैंने आने-जाने की टैक्सी की थी। टैक्सी में ड्राइवर ने राधा रानी के भजन लगा दिए और मुझसे स…
Read more »ख़ाली हाथ नहीं हूँ फिर भी ना जाने क्यूँ …..! कुछ ढूँढती रहती हूँ अपने हाथों की लकीरों में जो चाहा ,बढ़ कर पाया । फिर भी ना जाने क्यूँ……! कुछ तलाशती र…
Read more »वो शाम कुछ अजीब थी ……! रात के क़रीब थी । रात गहरा रही थी शायद कुछ बता रही थी । इस ढलती रात में समेट रही थी कुछ ख़्वाब । ढूँढ रही थी मैं उन्हें इध…
Read more »जो मिल गई, वो मोहब्बत कैसी । जिसे पा लिया, वो महबूब कैसा । मोहब्बत में ना हो कसक ना हो दर्द ,ना हो जुदाई । वो मोहब्बत कैसे कहलाई ! मोहब्बत के बद…
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