निर्मोही सजनी तू ना समझी मेरे मन के पीड़ को फैसले फासले के थे तुम्हारे कैसे दोष दूँ तकदीर को । यूँ तेरा इश्क में छलना मगर मैं चलना नहीं सिखा सिखा ठ…
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