
काव्य-सरिता
हम दुनिया के मजदूर हैं
बना के पूरी दुनिया सजा के सारी दुनिया ग़रीबी का जीवन जीते हैं ग़म के आंसू हम पीते हैं। हम दुनिया के मजदूर हैं…
बना के पूरी दुनिया सजा के सारी दुनिया ग़रीबी का जीवन जीते हैं ग़म के आंसू हम पीते हैं। हम दुनिया के मजदूर हैं…
शादी करना अगर है नर्म बिछावन व गर्म बाहों में सोना परंपरा निभाना, परिवार बसाना माता-पिता के अरमानों को पूरा करन…