अनुलोम-विलोम काव्य की एक कठिन विधा है। इस विधा का अवतरण होते समय मानसिक श्रम भी अधिक लगता है। नीचे लिखी पहली व दूसरी पंँक्तियाँ अनुलोम हैं तो तीसरी व…
Read more »हे पाखण्ड-खण्डिनी कविते! तापिक राग जगा दे तू। सारा कलुष सोख ले सूरज, ऐसी आग लगा दे तू।। कविता सुनने आने वाले, हर श्रोता का वन्दन है। लेकिन उससे पहले …
Read more »स्नेह का विनिमय बड़ा विचित्र प्रेम की व्याख्या यहां सचित्र। दो पृथक- पृथक लघु बालरूप सभी में ईश्वर अंश अकूत । देखते लुप्त हुए अवसाद। हृदय का भोज्य…
Read more »मैं भी मरूंगा, वह भी मरेगा, सब कोई मरेगा, कोई नहीं बचेगा! ऐसा सुनते - सुनते, कान पक गए, सुबह से रात हो गई, रात से सुबह हो गई! दिन सप्ताह बीते, महीने …
Read more »माँ का दुलार हो सर पर पिता का साया हो तो बड़ा मजा आता है। भाई बहन में प्यार हो थोड़ा तकरार भी हो तो बड़ा मजा आता है। नाते रिश्तेदार हो उनका आन…
Read more »दिल को मेरे तोड़कर चला गया है कोई दर्द गहरा दे गया है कोई। प्यार में हमें अपने बदनाम कर गया है कोई। जिनको हम अपना हम समझते थे अपना नहीं रहा कोई।…
Read more »बाधाएँ कितनी भी आएँ, सबको ही मैं पार करूँगी। हिंदी में ही कार्य करूँगी, हिंदी का उद्धार करूँगी।। हिंदी बन जाए राष्ट्र भाषा, सबकी है यही अभिलाषा। …
Read more »कुछ फर्ज थे मेरे, जिन्हें यूं निभाता रहा। खुद को भुलाकर, हर दर्द छुपाता रहा।। आंसुओं की बूंदें, दिल में कहीं दबी रहीं। दुनियां के सा…
Read more »चलना है विश्राम नहीं है । रुकना हमारा काम नहीं है।। हार मान कर झुकना नहीं है। आंधी तूफानों से डरना नहीं है।। बार-बार गिर कर हमें उठना है। सफल ह…
Read more »ये तुझे क्या हो गया मेरे दोस्त क्या मुझसे तू खफा हो गया मेरे दोस्त दुनिया बुरी है तो रहने दे तू क्यों बुरा हो गया मेरे दोस्त एक सपना जो हम …
Read more »कुछ भी ना कहे मुख से फिर भी सब समझ जाते है मित्र ही तो वह बन्धन है जहां बेस्वार्थ रिश्ते निभाए जाते हैं नही मानते तुम गर तो तु…
Read more »बेज़ान हो गया वो , कभी जो था हरा भरा। एक पत्ता टूटा पेड़ से , और ज़मीं पर जा गिरा।। एक अरसे से , शोभायमान था जो शाख पर। …
Read more »शहरीकरण की दौड़ में, बहुत आगे निकल गए हम... पीछे छूट गए हैं, अब तो सारे गाँव हमारे! नित नए अविष्कार पर... जश्न मना रहे हैं हम लेकिन, सुबक रहे हैं देख…
Read more »कुछ पाने से पहले तपना जरूरी है तपी धरती थी गर्मी में उमड़ आये घने बादल जैसे उतर आये हों जमीं पर सुखद प्रेम का आलिंगन देने जिससे कोख पृथ्वी की हो गय…
Read more »खूब लगाओ पेड़ धरा पर, फैलाओ हर जगह हरियाली। पर याद रहे उनको पानी देना, सुबह शाम तुम्हें पेड़ों के माली । सुबह शाम तुम्हें पेड़ों के माली, …
Read more »बस इक फर्ज जरूर निभाना, अबकी बारिश में। पर्णी एक जरूर लगाना, अबकी बारिश में। पारा पार हुआ इस बारी, था अड़तालिस के, उस पीड़ा को भूल न जाना, अबकी बारिश…
Read more »हर काम को अंजाम दें जरूरी तो नहीं हर काम को नाम दें जरूरी तो नहीं निरंतर कर्म है कर्तव्य कदम क्यों थामें हर पड़ाव पर आराम दें जरूर…
Read more »लहनदार भट्टी से निकलने वाली आग की लाल चिन्गारियों के बीच लोहा और पत्थर कूटने वाले बन्जारों को कभी आपने देखा है चलिए, छोड़िए, आपके पास वक्त ही कहां है…
Read more »सुनो! हर धड़कन मेरी तुम्हें पुकारे हम तो हे प्रियतम ! तेरे नाम हुए। दूर होकर तुम से जले हैं ऐसे कि! मेरे तन -मन ,सब श्मशान हुए।। बसकर तेरी…
Read more »वो आज की स्त्री है विरोध करती है तुम्हारी बातों का, क्यू कि बस हां में हां करना नहीं सीखा उसने ठीक है तुम उसके अपने हो पर उसका अपना वजूद भी है उसके…
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