किरन वर्मा

माँ से चांद बोला

एक दिन मां से चांद यूं बोला मैं क्यों दिन में न जाऊं बता दो मुझको माई..... सुबह सवेरे सूरज जाए कलियों को वह   …

फौजी का पत्र

कोयल कूके बदरा छाए बोले मोर पपीहा.. सर्दी बीती गरमी बीती बीता बारिश का महीना ऐसे में कब आओगे स्वामी बार बार…

वो जिंदगी कहां है?

न पहले जैसे लोग न पहले जैसी बातें न पहले जैसा दिन न पहले जैसी रातें न पहले जैसा खेल न पहले जैसी डांटे अब वो जिंदग…

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