पानी किसी की नहीं सुनता वह किसी की व्यथा नहीं देखता वह सिर्फ बहता है बहते-बहते चला जाता है वहाँ तक जहाँ हम सोच नहीं सकते हैं वह उम्…
Read more »बीते हुए बचपन की गवाह हैं, मेरी गलियाँ अब भी लिखती हैं, वह मेरी सलामती की चिट्ठी देर रात बैठकर जब सो जाता है पूरा शहर खामोशी की चाद…
Read more »किताबों के साथ-साथ पढ़ता हूँ , मैं वो तमाम चेहरे जो भीड़ में इस तरह खो गये जैसे खनकते हुए सिक्के! कुमार पवन कुमार ‘पवन’ असिस्टेंट प…
Read more »रो देती हैं जब औरतें पिघलकर बह जाता है सारा दुःख लावा की तरह धरती की गोद में बिलख पड़ता है बारिश के रूप में बादल एक पिता की तरह! कुमार…
Read more »कभी -कभी मैं बिल्कुल अकेला हो जाता हूँ पेड़ की उस डाल की तरह जिसके पत्ते अभी-अभी गुजर गये बिना किसी शोरगुल के और अपने पीछे छोड़ आये ह…
Read more »अब मैं इस बारिश को अच्छा कहूँ या बुरा ? कल रात इसने मिट्टी के कुछ खिलौनों को फिर मिट्टी में मिला दिया और मेरे सामने छोड़ दिया एक उदा…
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