
गिरेन्द्र सिंह भदौरिया 'प्राण'
प्रयाण गीत
(तूणक छ्न्द में) कामना करो कि नव्यता सदा बनी रहे। देश में विनीत सभ्यता सदा बनी रहे।। सादगी समेत भव्यता सदा बनी रहे। स्व…
(तूणक छ्न्द में) कामना करो कि नव्यता सदा बनी रहे। देश में विनीत सभ्यता सदा बनी रहे।। सादगी समेत भव्यता सदा बनी रहे। स्व…
(दुर्मिल सवैया में समस्या पूर्ति) स्थिति ==== पति साथ गई नव दृश्य दिखा, सखि चौंक पड़ी पर आह न की। दुविधा वश भूल गई पत…
अनुलोम-विलोम काव्य की एक कठिन विधा है। इस विधा का अवतरण होते समय मानसिक श्रम भी अधिक लगता है। नीचे लिखी पहली व दूसरी पं…
हे पाखण्ड-खण्डिनी कविते! तापिक राग जगा दे तू। सारा कलुष सोख ले सूरज, ऐसी आग लगा दे तू।। कविता सुनने आने वाले, हर श्रोता…
" गुन ना हिरानो गुन गाहक हिरानो है। इस भावना के साथ मित्रो! मेरी इस रचना के तुकान्त न देखते हुए इसके …
हे पाखण्ड खण्डिनी कविते ! तापिक राग जगा दे तू। सारा कलुष सोख ले सूरज, ऐसी आग लगा दे तू।। कविता सुनने आने वाले, हर…