अनुलोम-विलोम काव्य की एक कठिन विधा है। इस विधा का अवतरण होते समय मानसिक श्रम भी अधिक लगता है। नीचे लिखी पहली व दूसरी पंँक्तियाँ अनुलोम हैं तो तीसरी व…
Read more »हे पाखण्ड-खण्डिनी कविते! तापिक राग जगा दे तू। सारा कलुष सोख ले सूरज, ऐसी आग लगा दे तू।। कविता सुनने आने वाले, हर श्रोता का वन्दन है। लेकिन उससे पहले …
Read more »" गुन ना हिरानो गुन गाहक हिरानो है। इस भावना के साथ मित्रो! मेरी इस रचना के तुकान्त न देखते हुए इसके लय विधान को देखें यह आठ सोलह व…
Read more »हे पाखण्ड खण्डिनी कविते ! तापिक राग जगा दे तू। सारा कलुष सोख ले सूरज, ऐसी आग लगा दे तू।। कविता सुनने आने वाले, हर श्रोता का वन्दन है। लेकिन उ…
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