गुलांचो कुमारी ओझल हृदय दुखों से भरा है मन भी बड़ा बेचैन है प्रकृति की सुगंधित हवाएं ओझल हो रही है आंखों से फिर भी हम मौन हैं। … द्वारा - अरुणिता सितंबर 22, 2021