
गौरीशंकर वैश्य विनम्र
चिंतन करें
मिलना हुआ अतिशय कठिन अब शुद्ध वायु, शुद्ध जल। क्यों कर रहे छल प्रकृति से चिन्तन करें हम एक पल। मन मोह लेती थी कभी वह आज…
मिलना हुआ अतिशय कठिन अब शुद्ध वायु, शुद्ध जल। क्यों कर रहे छल प्रकृति से चिन्तन करें हम एक पल। मन मोह लेती थी कभी वह आज…
अंधकार पर जीत हित, जलते दीप सगर्व। देता जय - संदेश शुभ, दीपावलि का पर्व। 'तमसो मा ज्योतिर्गमय', सारस्वत युग…
पढ़े जीवन सार कोई ढो रहा है भार कोई हाथ में ले, हाथ मेरा ले गया मझधार कोई छा गया मन पर अचानक छेड़ व…