
जयप्रकाश श्रीवास्तव
छाया मत छूना
सुनो पथिक उजले भ्रम की तुम छाया मत छूना। इस छाया में गहन अँधेरा बैठ जुगाली करता है पनघट-पनघट प्यासा सागर सिर्फ़ दलाल…
सुनो पथिक उजले भ्रम की तुम छाया मत छूना। इस छाया में गहन अँधेरा बैठ जुगाली करता है पनघट-पनघट प्यासा सागर सिर्फ़ दलाल…
साधकर पर पाखियों ने नभ उड़ानों पर लिया। क्या करें आखिर कटे जो पेड़ थे चल पड़े कुछ लोग जो बस भे…