सुनो पथिक उजले भ्रम की तुम छाया मत छूना। इस छाया में गहन अँधेरा बैठ जुगाली करता है पनघट-पनघट प्यासा सागर सिर्फ़ दलाली करता है सुनो पथिक मैले रि…
Read more »अनगिनत किरणें सजा थाल में लाई उषा धरा का मंगल हुई । लिपे आँगन धूप से …
Read more »साधकर पर पाखियों ने नभ उड़ानों पर लिया। क्या करें आखिर कटे जो पेड़ थे चल पड़े कुछ लोग जो बस भेड़ थे पिया अमृत घट जिन्होंन…
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