सिसक रही मानवता देखो अँसुवन धार बहाए माँग रही दो बूँद नेह की आँचल को फैलाए पथ भूले पथराए जग को प्रेम ही राह दिखाए सहज हुईं मुश्किल राहें जब प्र…
Read more »बोले ब्रह्म गुरु इक दिन, बस आज चुनो तुम प्रिय अपना, हो स्वतंत्र है आज्ञा तुमको, बुन लो जीवन का हर सपना। सूरज ने धूप समेटी तो, चंदा तारों के स…
Read more »छेड़ दी कैसी यह तुमने, है मधुर झंकार, छू हृदय के तार प्रियवर, छू हृदय के तार। मेरी जीवन वीणा पर, मधु राग को झंकृत किया, बज उठे नूपु…
Read more »बेटी होती एक गुड़िया सी, सब पर प्यार लुटाती है, सारी दुनिया के गुलशन को, बेटी ही महकाती है । परियों सी होती है बेटी, मुस्काती, इठलाती…
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