
डॉ० मीनाक्षी गंगवार
प्रेम ही राह दिखाए
सिसक रही मानवता देखो अँसुवन धार बहाए माँग रही दो बूँद नेह की आँचल को फैलाए पथ भूले पथराए जग को प्रेम ही राह दिखाए …
सिसक रही मानवता देखो अँसुवन धार बहाए माँग रही दो बूँद नेह की आँचल को फैलाए पथ भूले पथराए जग को प्रेम ही राह दिखाए …
बोले ब्रह्म गुरु इक दिन, बस आज चुनो तुम प्रिय अपना, हो स्वतंत्र है आज्ञा तुमको, बुन लो जीवन का हर सपना। सूरज ने …
छेड़ दी कैसी यह तुमने, है मधुर झंकार, छू हृदय के तार प्रियवर, छू हृदय के तार। मेरी जीवन वीणा पर, मधु रा…
बेटी होती एक गुड़िया सी, सब पर प्यार लुटाती है, सारी दुनिया के गुलशन को, बेटी ही महकाती है । परियों सी हो…