
डॉ० मोहन लाल अरोड़ा
जल ही जीवन
बहता हुआ ये झरना, बहता हुआ यह पानी कण-कण में है बसा तू,कण-कण की जिंदगानी वादी, नदी, पवन सब, तेरा ही गुण ये गाते आया न…
बहता हुआ ये झरना, बहता हुआ यह पानी कण-कण में है बसा तू,कण-कण की जिंदगानी वादी, नदी, पवन सब, तेरा ही गुण ये गाते आया न…
कसम से ज़िंदगी में यूँ न बेबसी होती अगर ताउम्र तेरी रहबरी मिली होती न सजती दर्द की महफ़िल न मैं मिटी होती बहार आने की…
"ठहरो”, इस कड़कती हुई आवाज को सुनते ही हेमंत के मन की उड़ान और मोटरसाइकिल की गति दोनो को ब्रेक लग गये,,…
नारी एक सृष्टि की सृजना, नारी एक, रूप अनेक में , नारी ही धात्री ,नारी ही पालक, नारी ही लक्ष्मी,नारी ही क…