डॉ० योगेन्द्र मणि कौशिक

घर जैसा भोजन

न जाने किसने क्या सोच कर कहा होगा “घर की मुर्गी दाल बराबर” …… क्योंकि जिसे न मुर्गी पसंद है न दाल, अर्थात मुझ जैसा कोई …

योगा होगा ..? नहीं होगा ?

योगा होगा ..? नहीं होगा ?

हमारे मोहल्ले के लल्लू जी ,नाम के भले ही लल्लू लाल हों लेकिन हैं बड़े काम की चीज। चुस्त, दुरुस्त, फुर्तीले, समाज स…

हम भी चले परदेस

हम भी चले परदेस

जब किसी की विदेश में नौकरी लगती है तो हमारे प्राय: मुँह से निकलता भला विदेश में रहकर नौकरी क्यों करना ? अपने दे…

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn more
Ok, Go it!