डॉ० रानी गुप्ता

प्रेम गलियाँ

आज फिर से प्रेम की उन गलियों में, जाने को जी चाहता है तेरे पास आकर तुझे, गले लगाने को जी चाहता है, तड़पाती है तेरी याद…

उदासी का मंज़र

ये कैसा गुबार है छाया मन पर उदासी का है मंज़र तन मन पर फंसे हैं मुश्किलों की मझधार में जीवन को किस ओर ले …

गणित जीवन का

इस संसार रूपी गणित का अध्ययन खूब करते हैं रोजमर्रा की जिंदगी में रिश्तों को जोड़ घटाने का प्रारुप देते हैं …

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn more
Ok, Go it!