ऋतुराज बसन्त है आया , संग में बहुत कुछ है लाया ! दिनकर की गुनगुनी धूप , मन को लुभाने वाला रूप ! सुवासित औ…
जिन्हें घुमाया अपने कन्धे , हाथ पकड़ जिन्हें खिलाया । छोड़ गये ओ सारे बन्दे , जिन्हें वदन का दूध पिलाया ।। कभी नहीं ओ…
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