
डॉ0 केवलकृष्ण पाठक
कर्म-भोग का मेल
जगती तल पर प्राणी जो, आया खेलने खेल, देख तमाशा कैसा है, कर्म-भोग का मेल। कर्म-भोग का मेल, ना बाधा डालो उस में, कर…
जगती तल पर प्राणी जो, आया खेलने खेल, देख तमाशा कैसा है, कर्म-भोग का मेल। कर्म-भोग का मेल, ना बाधा डालो उस में, कर…
नहीं समझ पाता हूँ मन में द्वेष भाव क्यों आता है न चाहने पर भी कोई बात ध्यान में आ जाने पर उस व्यक्ति के प्रति…
किसी प्राणी को दुख ना दें हम किसी का हक़ भी नहीं छीनें हम किसी को हानि ना पहुँचायें श्रम से कभी नहीं घबरायें…
१ मानव अपनी शक्ति को पहचान ले, चांद पे पहुँच चुका है मानव मान ले l वह क्या जो तेरी शक्ति से है बाहर, अन्त…
नारी और पुरुष की महत्ता जग में एक सामान है नारी ही अब कर सकती अपने देश का कल्याण है आदिकाल में ऋषि मुनियों ने ,ना…