उत्तरायण को रवि चढ़ा , अस्त हुआ सर्दी का सूरज | मंद मंद बयार चली उड़ाती, गलियों खलिहानों की रज || आंगन के वृक्ष उदास खड़े, सुकोमल पात वसुधा पर पड़े …
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