कुछ फर्ज थे मेरे, जिन्हें यूं निभाता रहा। खुद को भुलाकर, हर दर्द छुपाता रहा।। आंसुओं की बूंदें, दिल में कहीं दबी रहीं। दुनियां के सा…
Read more »बेज़ान हो गया वो , कभी जो था हरा भरा। एक पत्ता टूटा पेड़ से , और ज़मीं पर जा गिरा।। एक अरसे से , शोभायमान था जो शाख पर। …
Read more »एक घने कोहरे से, गुजर रहे है हम इन दिनों | नजरों के सामने होकर भी, नजर वो आते नहीं || दो कदम बढ़ाकर रुक गए वो, और हम चलते रहे | जो ठहर जाते हम भी, तो…
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