एक डोर बनी थी प्यारी सी टुकडों टुकडों में बिखर गयी! कोई इधर गयी कोई उधर गयी कोई मजबूरी में पिघल गयी! वो हीरे जैसे यार मेरे मोती बनकर के…
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