रूष्ट होते वचनों से केश खींचें निकाली गई विरह अग्नि में भस्म जली अपमानित जन बांधी गई कूट कूट मिथ्या ही लागे अ…
Read more »घायल की गति घायल जाने कितनी पीड़ा आधार बताये वफादारी में सन्ताप रहा है प्रेम विफल है याद दिलाएं निशब्द वचनों की काय…
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