प्रज्ञा पाण्डेय

मात

श्रद्धा की मां पूजा का व्यक्तित्व बहुत ही आकर्षक था। अलौकिक सौन्दर्य की स्वामिनी थी पूजा। जो भी उनसे मिलता था वह उनसे प…

इतने कृष्ण

बैठा है दुशासन डगर डगर पर इतने कृष्ण कहां से आयेंगे सुनो नारियों खुद ही अपना चीर संभालो हम खुद ही अपनी लाज बचायेंगे कोम…

गर्लफ्रेंड

मनोहर जी अवकाश प्राप्त सरकारी कर्मचारी थे। और रिटायरमेंट के बाद भी जिंदगी को बड़ी जिंदादिली से जीते थे। उनके दोन…

ग़ज़ल

समझ ना पाई उनकी आंखें जब मेरे नयन की भाषा इसी लिए शायद क्वांरी है मेरे अंतस की अभिलाषा लाख चाहने पर भी अपनी, भाव…

ग़ज़ल

1. आज़ बिगड़े हैं जो मेरे हालात   तो कल फिर सुधर भी जाएंगे l     जो लोग मेरी नजरों से गिर   गए है वो मेरी न…

ग़ज़ल

जब से तुम    मशहूर हो गए हो   तब से   तुम मगरूर हो गए हो   बोल देते हो सच भरी महफिल में क्यों इस कदर बे शऊर ह…

ग़ज़ल

हज़ार  मसले   घर में खड़े हो गए जब मां बूढ़ी और बच्चे बड़े हो गए   हर बात पे ज़िद करते थे जो उनको बरसों मां से…

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