वह भी क्या दिन थे जब मेरी कलम रूकती ही ना थी बस तुझे ही लिखती रहती थी मेरे हर लफ्ज में तुम ही तुम तो थे कलम की स्याही के हकदार सिर्फ तुम ही तुम…
Social Plugin