प्रियंका त्रिवेदी

ख्वाब

बहुत से ख्वाब पलकों में, हमने बरसों संजोए रखा है। होते देख कामयाब औरों को, आंखों से मेरे,झलक जाता हैं।।   ह…

मैं उड़ना चाहती हूँ

लगा के पंख उम्मीदों के नीले गगन को छूना चाहती हूँ। ईश्वर की बनाई इस सृष्टि के हर रूप से रुबरु होना चाहती हूँ। …

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