
प्रियंका पाण्डेय 'त्रिपाठी'
रत्नवती का आंचल
नवरत्न जड़ित सोलह श्रृंगार कर, स्वर्ग से उतरी नववधू-सी। धानी चुनर ओढ़कर, हरीतिमा फैलाती रत्नवती।। शिव जटा…
नवरत्न जड़ित सोलह श्रृंगार कर, स्वर्ग से उतरी नववधू-सी। धानी चुनर ओढ़कर, हरीतिमा फैलाती रत्नवती।। शिव जटा…
परम सुंदर शरद ऋतु, सज-धज धरा पर उतरी। मन मोहती विश्व-मोहिनी, शरद नायिका नववधू-सी। तरू से पात गये …
मां मुझे जन्म लेने दो, बाबा की परी बनने दो। फूलों की तरह खिलने दो, तितलियों की तरह मचलने दो।। मै देवी का …