नवरत्न जड़ित सोलह श्रृंगार कर, स्वर्ग से उतरी नववधू-सी। धानी चुनर ओढ़कर, हरीतिमा फैलाती रत्नवती।। शिव जटा से धरा पर उतर कर, वसुंधरा क…
Read more »परम सुंदर शरद ऋतु, सज-धज धरा पर उतरी। मन मोहती विश्व-मोहिनी, शरद नायिका नववधू-सी। तरू से पात गये सब झर, नव कोंपलों का हुआ सृ…
Read more »मां मुझे जन्म लेने दो, बाबा की परी बनने दो। फूलों की तरह खिलने दो, तितलियों की तरह मचलने दो।। मै देवी का रूप हूं, देवताओं की प्रार्थन…
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